News

Why Respective Brahmin ?

Vaidik Sutra Dharm Samalochna

Posted by admin on 2024-07-23 13:25:32 | Last Updated by subadmin1 on 2024-09-20 02:10:41

Share: Facebook | Twitter | Whatsapp | Linkedin Visits: 105


Why Respective Brahmin ?

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

आप में से लगभग लोग जानते होंगे कि हिंदू धर्म में ब्राह्मण देवता तो किसी देवी-देवता के कम नहीं माना जाता। कहने का भाव हैं इन्हें भी देवी-देवताओं की ही तरह पूजनीय माना जाता है। मगर इन्हीं लोगों में से बहुत से लोगों के मन में ये सवाल भी आया होगा कि आख़िर क्यों ब्राह्मण को देवता का रूप माना जाता है? इसके पीछे का कारण क्या है? दरअसल इस बात का विवरण धार्मिक ग्रंथों में बाखूबी किया गया है। जी हां शास्त्रों से जानते हैं कि क्यों ब्राह्मण को देवता समान पूजनीय माना जाता है।



शास्त्रीय मत-

पृथिव्यां यानी तीर्थानि तानी तीर्थानि सागरे

सागरे सर्वतीर्थानि पादे विप्रस्य दक्षिणे ।।

चैत्रमाहात्मये तीर्थानि दक्षिणे पादे वेदास्तन्मुखमाश्रिताः 

सर्वांगेष्वाश्रिता देवाः पूजितास्ते तदर्चया  ।।

अव्यक्त रूपिणो विष्णोः स्वरूपं ब्राह्मणा भुवि

नावमान्या नो विरोधा कदाचिच्छुभमिच्छता ।।

अर्थात- उपरोक्त श्लोक के अनुसार पृथ्वी में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी समुद्र में मिलते हैं और समुद्र में जितने भी तीर्थ हैं वह सभी ब्राह्मण के दक्षिण पैर में है। चार वेद उसके मुख में हैं। अंग में सभी देवता आश्रय करके रहते हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है ब्राह्मण की पूजा करने से सब देवों की पूजा होती है। पृथ्वी में ब्राह्मण विष्णु स्वरूप माने गए हैं इसलिए जिसको कल्याण की इच्छा हो उसे कभी ब्राह्मणों का अपमान तथा द्वेष नहीं करना चाहिए।

 

Leave a Comment:

Get In Touch

Address :
  Head Office :
  F3-74, Radhey Shyam Park,
  Rajendra Nagar Sector - 5,
  Sahibabad, Ghaziabad

  Regional Office :
  51, Radharaman Ghera,
  Gopinath Bazar, Vrindavan,
  Mathura, Uttar Pradesh

info@vedicsangrah.co.in

+91 84778 07700

Newsletter

Follow Us

© Vedic Sangrah, 2023-2024 || All Rights Reserved

Designed by Vedantic Solution